साँसों की यह लड़ी घट रही घड़ी घड़ी दूर कोलाहल में कहाँ पड़ी हर पल कल कल बहती हर कड़ी साँसों की यह लड़ी घट रही घड़ी घड़ी दूर कोलाहल में कहाँ पड़ी हर पल कल कल बहती हर कड़ी
मेरी हर सोच को पन्नों पर ले आती है मेरी हर सोच को पन्नों पर ले आती है
समझ न सकूं मैं कहानी अपनी ज़िंदगी की समझ न सकूं मैं कहानी अपनी ज़िंदगी की
सामने पड़ने पर गाल पर चांटा जड़ते हैं। सामने पड़ने पर गाल पर चांटा जड़ते हैं।
पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी। समझो तो हक़ीक़त , वरना झूठी कहानी। पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी। समझो तो हक़ीक़त , वरना झूठी कहानी।
बेरंग सी जिंदगी में "वो" सतरंगी रंग भर गई एक नकचढ़ी नजरों से छूकर अमर कर गई . बेरंग सी जिंदगी में "वो" सतरंगी रंग भर गई एक नकचढ़ी नजरों से छूकर अमर कर गई...